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Friday, 12 August 2016

मूवी रिव्यू: रूस्तम

मूवी रिव्यू: रूस्तम

मूवी रिव्यू: रूस्तम
अक्षय कुमार ने कुछ दिनों पहले कहा था कि ये इस फिल्म का सबसे खास पहलू है. लेकिन फिल्म में जिस तरह एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के बाद एक औरत को हर वक्त अपनी गलत पर पछताते हुए, कुढ़ते हुए दिखाया गया है उसे कम से कम 2016 में पचा पाना थोड़ा मुश्किल है.
रेटिंग: 2.5 स्टार
‘रूस्तम’ में प्यार है, बेवफाई है, ड्रामा है, आंसू है और देशभक्ति भी है. इसके बावजूद ये फिल्म निराश करती है. इसकी वजह ये है कि अक्षय कुमार इससे पहले देशभक्ति पर बनी कई फिल्में अपनी झोली में डाल चुके हैं जिसमें उन्होंने अपना मुकाम सेट कर लिया है. अक्षय की फिल्में ही अब उनके आड़े आने लगी हैं. जब हम अक्षय की ही पिछली फिल्में ‘बेबी’ और ‘एयरलिफ्ट’ को देखते हैं तो उसकी तुलना में ये फिल्म कहीं भी नहीं टिकती. ऐसा लगता है कि इस फिल्म में देशभक्ति का एंगल जबरदस्ती डाल दिया गया है.
कहानी
फिल्म 1959 के नानवाटी केस पर आधारित है. फिल्म में कहानी एक नौसेना ऑफिसर रूस्तम पावरी (अक्षय कुमार), उसकी खूबसूरत बीवी सेंथिया (इलियाना डीक्रूज) और बीवी का अय्याश आशिक विक्रम मखीजा (अर्जन बाजवा) जिसकी नौसेना में काफी ऊपर तक पहुंच हैं.  ‘रूस्मत’ का ट्रांसफर लंदन हो जाता है और इसी बीच उसकी बीवी का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर विक्रम मखीजा के साथ हो जाता है. रूस्मत खुद विक्रम का कत्ल कर देता है. सारे गवाह और सबूत उसके खिलाफ हैं फिर वो खुद को कैसे सही साबित कर पाएगा? रूस्मत अपनी बेवफा बीवी को माफ कर पाता है? कत्ल की वजह बीवी है या फिर कुछ और? यही फिल्म का सस्पेंस है और जब सस्पेंस का खुलासा होता है तो सब कुछ बनावटी सा लगता है.
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फिल्म के पहले भाग में प्यार और बेवफाई की कहानी है और दूसरे भाग में कोर्ट की कार्रवाई को दिखाया गया है जिसमें रूस्तम अपना केस खुद लड़ता है. अपने बचाव में यहां जब रूस्तम डायलॉग मारता है तो हॉल में बैठे लोगों से पहले उस कोर्ट में मौजूद लोग ही सीटियां मार रहे होते हैं… आपस में ‘सही है’, ‘गलत है’ जैसे फुसफुसाहट कर रहे होते हैं. कोर्ट में चल रही कार्रवाई को फनी बनाने की कोशिश की गई है जो कि ना ही फनी बन पाती है और ना ही गंभीर.
एक्टिंग
अक्षय कुमार तो बेहतरीन एक्टिंग करते ही हैं. उन्होंने अपना हिस्सा बहुत ही शानदार तरीके से निभाया है. लेकिन जब तक फिल्म की कहानी, डायलॉग, सीन्स और क्लाइमैक्स अच्छा ना हो फिल्म को शानदार या बढ़िया नहीं कहा जा सकता. कभी-कभी देशभक्ति भी ओवरडोज हो जाती है  कुछ ऐसा ही इस फिल्म में भी हुआ है.
इलियाना डीक्रूज खूबसूरत हैं, एक्टिंग भी अच्छी की है लेकिन फिल्म में ज्यादातर वो रोती रहती हैं. मौजूदा समय में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को जिस तरीके से इस फिल्म में दिखाया गया है वह इस फिल्म का सबसे कमजोर पहलू है.
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फिल्म में सचिन खेडेकर, ऊषा नडकरनी और पवन मल्होत्रा ने बेहतरीन अदाकारी की है. विक्रम मखीजा की बहन के किरदार में ईशा गुप्ता हैं जिन्हें सिर्फ शो पीस के लिए रखा गया है.
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इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इस फिल्म के सिनेमैटोग्राफर संतोष थुंडिल है जो इससे पहले जय हो, राउडी राठौर और कृष जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में अपना दम दिखा चुके हैं.
संगीत
आतिफ असलम की आवाज में ‘तेरे संग यारा’ की बात हो या फिर अरिजीत सिंह-पलक की आवाज में ‘देखा हजारो दफा आपको…’. इस फिल्म के गाने बहुत ही मधुर और कानों को सुकून देने वाले हैं और फिल्म के रिलीज से पहले ही काफी हिट हो चुके हैं.


अगर आप अक्षय कुमार के फैन हैं तो ये फिल्म आपके लिए है. 


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