कटप्पा
ने बाहुबली को क्यों मारा?? जवाब- कटप्पा महिष्मति सिंघासन का ग़ुलाम था
और सिर्फ वही नहीं उनके पूर्वज जो उस राज्य में जन्म लिए थे और जो लेते वो
भी सिंघासन के ग़ुलाम होते ये कटप्पा के पूर्वजो ने वचन दिया था। और जब
बाहुबली राजा बना तो उसके राज्य में "देवसेना" नाम की रानी थी जिसे बाहुबली
से प्रेम हुआ। और बाहुबली भी उनसे प्रेम करने लगा। पर bhallaldeva भी
देवसेना से प्रेम करने लगा पर राजमाता का आदेश था के जो देवसेना से विवाह
करेगा उसे राज्य से बाहर जाना पड़ेगा। बाहुबली इसके लिए तैयार हो जाता है
और देवसेना से विवाह करके राज्य से दूर चला जाता है। इधर बाहुबली के जाने
के बाद कालकेय के पुत्र की वापसी होती है और महिष्मति राज्य में आक्रमण
होता है। फलस्वरूप बाहुबली फिर आकर महिष्मति को बचाता है। लेकिन भल्लालदेव
को डर था के राजमाता कही राज्य बाहुबली को ना देदे इस डर से भल्लालदेव
कटप्पा को आज्ञा देता है के बाहुबली को मार दे। चूँकि कटप्पा राज सिंघासन
का ग़ुलाम था और उस वक़्त राजा भल्लालदेव था इसलिए उसकी आज्ञा का पालन करते
हुए कटप्पा ने बाहुबली को मार दिया। अब आगे क्या होता है देखने के लिए
इन्तजार करिये BAAHUBALI-the conclusion का। Releasing january 2016. लो अब
सबको जवाब मिल गया कि कट्टप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा । अब मत पूछना
Ktppa hit the strongmen why ?? Answer- Ktppa Mahishmti thrall of Singasn
and not only for their ancestors who were born in that state and that
it would be too thrall of Singasn Ktppa promised by the ancestors. And
when strongmen rule in his kingdom "Devsena" was the name of the queen
was loved by strongmen. And strongmen began to love him. Bhallaldeva
also looked at Devsena love was the order of the queen mother who will
marry him Devsena have to go out of state. Strongmen are ready for it
and Devsena marry and goes away from the state. After the return of the
son of strongmen here is Kalkey and Mahishmti state is attacked.
Consequently strongmen came again Mahishmti saves. But the queen was
afraid Bllaldev Dede said no to state strongmen fear Bllaldev Ktppa
commands to kill the strongmen. Since Ktppa Singasn servant of rule and
was therefore at that time King Bllaldev by following his orders to kill
Ktppa the strongmen. Please wait to see what happens next BAAHUBALI-the
conclusion of the. Take Releasing january 2016. Now that everyone got
the answer why Kttppa hit the strongmen. Now ask
Superstar
Salman Khan has flayed absconding Mumbai serial blast accused Tiger
Memon, saying it was he who should be hanged not his brother Yakub
Memon. Calling Yakub Memon innocent, he said killing him would be
killing humanity. He also appealed to Pakistan Prime Minister Nawaz
Sharif to send Tiger to India if he is in his country.
Salman Khan wrote a series of explosive tweets to make his point.
Hang tiger .
— Salman Khan (@BeingSalmanKhan) July 25, 2015
Brother is being hanged for tiger. Aarrre Whr is tiger?
— Salman Khan (@BeingSalmanKhan) July 25, 2015
Tiger ki hi to kami hai India mein. Tiger ko Lao. Hum toh upne
family par mar jaaaeen. Tiger tumhaara bhai kuch Dino mein tumhare liyeh
— Salman Khan (@BeingSalmanKhan) July 25, 2015
Phasisi k phande pe chardne walla hai . Koi statement. Koi address.
Kuch toh bolo k tum teh. Wah bhai ho toh aisa. Matlab. Ya khoob menan.
— Salman Khan (@BeingSalmanKhan) July 25, 2015
Kaun sa tiger kaisa tiger kidhar hai tiger. Samaj raha hai tiger.
Kay soch k nam diya tha aur kya maina nikal liya uus ka.
— Salman Khan (@BeingSalmanKhan) July 25, 2015
1 innocent man killed is killing the humanity
— Salman Khan (@BeingSalmanKhan) July 25, 2015
Kidhar chupa hai tiger? Hey koi tiger nahi hai hai hai billi aur hum
ek billi ko nahi pakad sakteh.
— Salman Khan (@BeingSalmanKhan) July 25, 2015
been wanting to tweet Tis fr 3 days n was afraid to do so but it
involves a man's n family. Don't hang brother hang tha lomdi who ran
away
— Salman Khan (@BeingSalmanKhan) July 25, 2015
N no 1 ever Address him as tiger ever . Does not deserve that at
all. Hang that.............. fill in th blanks
— Salman Khan (@BeingSalmanKhan) July 25, 2015
Yakub Memon: A little over 22 years after 13 coordinated blasts rocked
Bombay, killing 257 people and injuring over 700, the lone convict on
death row in the case Yakub Abdul Razak Memon will be hanged on 30th
July this year after the Supreme Court today rejected his curative
petition against death sentence. Yakub Abdul Razak Memon declared
terrorist and chartered accountant, who is convicted over his
involvement in the 1993 Bombay bombings by Special Terrorist and
Disruptive Activities court on 27 July 2007.
Yakub Abdul Razak Memon, convicted in the 1993 Mumbai serial blasts
accused will be hanged on July 30.
According to reports, Memon will be hanged till death at 7 am on July 30
in Nagpur Central Jail, where he is currently lodged.
President Pranab Mukherjee had rejected Memon's mercy petition in April
this year.
The Maharashtra Government has reportedly began proceedings for his
execution after obtaining permission from the TADA court.
This will be the first execution the Mumbai blasts case.
A chartered accountant, Memon, 53, has filed his second review petition
before the Supreme Court which is expected to be heard on July 21, but
the state government is making all preparations for the hanging with the
warrant issued earlier this week.
He was awarded the death sentence by a Special TADA Court in Mumbai on
July 27, 2007 for his role in the blasts, including arranging finances
for carrying out the 13 serial explosions which left 257 dead and over
700 injured across the city on March 12, 1993. बड़ी बहसः #YakubMemon
की फांसी के खिलाफ ट्विट कर बॉलीवुड एक्टर Salman Khan फंसते नजर आ रहे
हैं. याकूब मेमन को निर्दोष बताने वाले ट्वीट पर सरकारी वकील उज्जवल निकम
ने कहा है, 'ये बयान बेहद आपत्तिजनक और कोर्ट की अवमानना है. अगर सलमान ने
अपने ट्वीट वापस लेते हुए मांफी नहीं मांगी तो हम उनके खिलाफ कानूनी
कार्रवाई के लिए विचार करेंगे.'
दरअसल कल रात 51 मिनट के अंदर सलमान ने याकूब मेमन को निर्दोष बताते हुए 14
ट्विट किए थे.
Bollywood Director Kunal Kohli's upcoming film 'Phir se', which had been
fighting plagiarism case for almost two months, finally got a green
signal from the Supreme Court today which lifted the stay on the movie's
release.
The case, which was filed by Jyoti Kapoor, came to an end with a settlement between both parties.
"The
Supreme court has taken the decision to release the movie. We are
waiting for a copy of the verdict. The court did not find any evidence
of it being a case of copyright infringement and there are no settlement
on the verdict," said Kohli's lawyer Raveena Rajpal.
Talking
about the verdict, Kunal said, "I am relieved with the verdict.
However, I do not like when same industry's people drag you to the
court. It is not a good precedent to set. We had to push forward our
release due to this issue, but are now working out a date."
The
'Hum Tum' fame director will be making his acting debut with'Phir Se',
where he would be seen opposite Television actor Jennifer Winget.
जानें 9 रिकॉर्ड्स जिसे तोड़ 'बाहुबली' ने मचाई है खलबली!
नई दिल्ली:
इन दिनों बॉक्स ऑफिस पर एक फिल्म ने मचाई है खलबली. लोगों की जुबां से
दर्शकों के दिलों तक सिर्फ एक ही नाम सुनने को मिल रहा है और वो है
'बाहुबली'. दिन-प्रतिदिन बॉक्स ऑफिस पर सफलता के परचम लहराने वाली इस फिल्म
ने ऐसी सुर्खियां किसी प्रमोशन की बदौलत नहीं बल्कि अपने कंटेट की वजह से
बटोरी हैं.
इस फिल्म की सफलता का अंदाजा आप इसी बात से लगा
सकते हैं कि फिल्म ने रिलीज होने के 9 दिनों के अंदर ही 9 बड़े रिकॉर्ड्स
अपने नाम कर लिए हैं. जी हां! यह हम नहीं कह रहे बल्कि खुद आंकड़ें ही इस
बात के गवाह हैं. पेश है ऐसे ही 9 रिकॉर्ड जिन्हें तोड़ 'बाहुबली' ने मचाई
है बॉक्स ऑफिस पर खलबली!
पहला रिकॉर्ड: 'बाहुबली' ने
सबसे पहला रिकॉर्ड अपने बजट के आधार पर बनाया था. 'बाहुबली' अब तक इंडिया
में बनी सबसे महंगी फिल्म है जिसे बनाने में 250 करोड़ का खर्च आया है.
दूसरा रिकॉर्ड: 'बाहुबली' ने
रिलीज के पहले ही अपने नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज कर लिया था और वह था इसका
पोस्टर जिसके चलते इसने अपना नाम गिनीज़ रिकॉर्ड में भी दर्ज़ करवा लिया
था. आपको बता दें कि 'बाहुबली' की टीम ने फिल्म का 51,968.32 स्क्वेयर फीट
का पोस्टर तैयार करके 50,687.25 स्केवयर फीट के सबसे बड़े पोस्टर का
रिकॉर्ड तोड़ डाला.
तीसरा रिकॉर्ड: 'बाहुबली' ने
रिलीज होने साथ ही पहले दिन 50 करोड़ से अधिक की कमाई करके अभी तक की सभी
फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़ दिए और भारतीय सिनेमा के इतिहास में इस फिल्म ने
एक नया अध्याय जोड़ दिया.
चौथा रिकॉर्ड: आपको बता दें
कि प्रभाष स्टारर फिल्म 'बाहुबली' ने अमेरिका और मलेशिया में फिल्म 'पीके'
की कमाई के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया.
'बाहुबली' ने अमेरिका में फर्स्ट वीकेंड पर 28.07 करोड़ रुपए और मलेशिया
में करीब 23.43 लाख रुपए की रिकॉर्ड तोड़ कमाई की.
पाचवां रिकॉर्ड: फिल्म 'बाहुबली' ने दो दिनों में ही 100 करोड़ का आंकड़ा पार करते हुए सबसे कम समय में 100 करोड़ रुपए की कमाई का रिकॉर्ड बना डाला.
छठवां रिकॉर्ड: इसके साथ ही
एस.एस. राजामौली निर्देशित फिल्म 'बाहुबली' ने रिलीज होने के बाद महज पांच
दिनों में दुनियाभर में 200 करोड़ रुपये के क्लब में शामिल होकर नया
रिकॉर्ड बनाया है.
सातवां रिकॉर्ड: केवल इतना ही
नहीं 'बाहुबली' बॉक्स ऑफिस पर नौ दिनों के अंदर 300 करोड़ रुपये का आंकड़ा
पार करने वाली पहली दक्षिण भारतीय फिल्म बन गई है. आपको बता दें कि इसने
सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्म 'एंथिरन' का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जिसने लगभग
290 करोड़ रुपये की कमाई का रिकॉर्ड बनाया था.
आठवां रिकॉर्ड: केवल इतना ही
नहीं आपको बता दें कि इसके साथ ही फिल्म के हिंदी संस्करण ने 50 करोड़
रुपये की कमाई के साथ ही डब फिल्मों की कमाई के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड
बना दिया.
नौवां रिकॉर्ड: आपको बता दें
कि ये पहली ऐसी भारतीय फिल्म है जिसने हॉलीवुड को भी चौंका दिया है. ये
थ्री हंड्रेड नाम की उस युद्धगाथा की झलक है जिसे साल 2007 में हॉलीवुड में
इसी नाम की एक कॉमिक सीरिज से प्रेरित हो कर पर्दे पर उतारा था. थ्री
हंड्रेड फिल्म को सबसे ज्यादा भरोसेमंद मानी जाने वाली अंतरराष्ट्रीय
रेटिंग एजेंसी आईएमडीबी ने 7.8 की रेटिंग दी थी.
इससे पहले आईएमडीबी ने सबसे ज्यादा रेटिंग 1994
की फिल्म द शॉशैंक रिडेंप्शन को दी थी लेकिन वो भी 9.3 ही थी. और अब
भारतीय फिल्म बाहुबली को उसी एजेंसी ने 9.5 की रेटिंग दी है जो एक रिकॉर्ड
है.
जब
आप सलमान ख़ान की फिल्म देखने जाते हैं तो कुछ बातें मान कर जाते हैं.
मसलन फिल्म में सलमान सुपरहीरोनुमा किरदार में होंगे, फिल्म में अजीबोग़रीब
एक्शन होगा जिसमें सलमान मार खाते हुए क़तई नज़र नहीं आएंगे, ‘मुन्नी
बदनाम', 'ढिंका चिका', 'जुम्मे की रात है’ जैसे एक-दो आइटम डांस होंगे और
हां, सलमान की एक-दो पंच लाइन्स ज़रूर होंगी जैसे- ‘मैं दिल में आता हूं
समझ में नहीं’. सलमान की फिल्मों से ऐसे मसालों की उम्मीद करना ग़लत भी
नहीं है क्योंकि सलमान सालों से यही तो कर रहे हैं.
कबीर ख़ान की ‘बजरंगी भाईजान’ में ये सबकुछ नहीं है.
यहां
सलमान अपने आप के बजाय अपने किरदार को निभाने की कोशिश करते नज़र आ रहे
हैं, यहां एक छोटा सा फाइट सीन है और आइटम सॉन्ग और पंच लाइन्स तो हैं ही
नहीं. इसके बावजूद सलमान ख़ान के पिछले पांच साल के ब्लॉकबस्टर करियर की ये
सबसे अलग और बेहतर फिल्म है.
इसका मतलब ये क़तई नहीं है कि फिल्म में
ख़ामियां नहीं हैं. ऐसी कई बातें हैं जिनका लॉजिक या तर्क से दूर-दूर तक
कोई लेना-देना नहीं लेकिन कबीर ख़ान ने मेनस्ट्रीम सिनेमा के दायरे में
रहकर एक साफ़ पारिवारिक फिल्म बनाई है और बिना उपदेश दिए एक पॉलिटिकल
स्टेटमेंट भी दे गए हैं.
कहानी
फिल्म
की कहानी के केन्द्र में एक 6 साल की पाकिस्तानी बच्ची शाहिदा (हर्षाली
मल्होत्रा) है जो बोल नहीं सकती. वो अपनी मां के साथ भारत आती है लेकिन
किसी तरह वो यहीं छूट जाती है. उसकी मुलाक़ात चांदनी चौक में रहने वाले पवन
कुमार चतुर्वेदी उर्फ़ बजरंगी (सलमान ख़ान) से होती है. बजरंगी एक
सीधा-साधा शख़्स है है और हनुमान-भक्त है. वो कभी झूठ नहीं बोलता. वो ठान
लेता है कि वो बच्ची को उसके घर तक पहुंचाकर ही दम लेगा.
परेशानी ये है कि ना उसके पास पासपोर्ट-वीज़ा
है, ना ही बच्ची के पास. कैसे वो सरहद पार करता है, पाकिस्तान में क्या
मुश्किलें आती है और क्या वो मुन्नी को उसके माता-पिता से मिलवा पाता है?
साथ ही बजरंगी और रसिका (करीना कपूर) की लव स्टोरी भी चलती रहती है.
कहानी
सुनकर शायद आपको लगे कि पाकिस्तान में घुसकर बजरंगी सनी देओल की ‘ग़दर’
जैसा कुछ करता होगा. कहानी में वैसे एक्शन और डायलॉग का स्कोप भी बहुत था.
लेकिन कबीर ख़ान की फिल्म इस मायने में अलग है. यहां फिल्म के किरदार जैसे
शुरुआत में बता दिए गए, वो अंत तक वैसे ही चलते रहे. फिल्म कहीं भी अपनी
सादगी नहीं छोड़ती.
सलमान का किरदार बजरंगी
बहुत अच्छा लिखा गया है. बजरंगी एक एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखता है
जो बेहद धार्मिक है. उसके पिता शहर में आरएसएस की शाखा प्रमुख रहे हैं और
ख़ुद बजरंगी भी बचपन से शाखा में जाता रहा है. वो नेक है, झूठ नहीं बोलता,
मांसाहारी खाना नहीं खाता और ना ही दूसरे मज़हब के धार्मिक स्थानों में
जाता है. चांदनी चौक में जिस परिवार में वो रहता है वहां भी तक़रीबन
मध्यवर्गीय परिवारों के बीच ऐसा ही धार्मिक डिवाइड दिखाया गया है. ऐसे
कट्टर ब्राहम्ण परिवार में एक मुस्लिम, पाकिस्तानी बच्ची का आना और फिर जब
बजरंगी अपनी पहचान छुपाए बिना पाकिस्तान की गलियों में बच्ची का घर तलाश
करना. यहीं सामने कहानी में छुपी इंसानियत. ऐसी फिल्मो में अक्सर बड़े-बड़े
डायलॉग और उपदेश होते हैं, ‘बजरंगी भाईजान’ इन सबसे बची रही है और यही इस
फिल्म की ख़ासियत है. फिल्म के कुछ सीन काफ़ी भावात्मक है.
फिल्म की सबसे बड़ी खामी
फिल्म
की सबसे बड़ी खामी है इसकी धीमी रफ़तार. ख़ासतौर से सलमान की फिल्में अपनी
मसालेदार एडिटिंग और तेज़ रफ़तार के लिए जानी जाती हैं लेकिन ‘बजरंगी
भाईजान’ में पहले भाग में कहानी का बिल्डअप बहुत धीमी गति से होता है. लोग
सिर्फ़ इंतज़ार करते हैं कि सलमान कब कुछ करेंगे. इसके अलावा जिस तरह सरहद
पर पाकिस्तानी अफ़सर बिना पासपोर्ट-वीज़ा के बजरंगी को अपने देश में दाख़िल
होने की इज़ाजत देते हैं, किस तरह पूरे पाकिस्तान में बिना पते के बजरंगी
एक छोटी सी झोपड़ी तलाश करता है और पिर फिल्म का क्लाईमैक्स जो किसी भी तरह
तर्क की कसौटी पर खरा नहीं उतरता लेकिन ये असर ज़रूर छोड़ता है. शायद यही
मेनस्ट्रीम सिनेमा की ताक़त है.
इमेज चेंज करने की ऐसी कोशिश कुछ साल पहले
शाहरुख़ ख़ान ने फिल्म ‘माय नेम इज़ ख़ान’ के साथ की थी. सलमान का ये
किरदार भी तक़रीबन उसी ढर्रे पर है. ये देखना दिलचस्प होगा कि दबंग या किक
जैसी फिल्म या एक्शन की उम्मीद लेकर आए सलमान के दीवाने फैन्स को ये फिल्म
कैसी लगती है?
अभिनय
फिल्म
में सलमान ख़ान अपनी पिछली फिल्मों की तरह लाउड नज़र नहीं आते और ये बदलाव
अच्छा लगता है. 6 साल की बच्ची हर्षाली को देखखर आप दंग रह जाएंगे. बिना
बोले उन्होंने बेहद ख़ूबसूरत अभिनय किया है. वो फिल्म की जान हैं. लेकिन
फिल्म मोड़ लेती है इंटरवल के बाद जब पाकिस्तानी न्यूज़ रिपोर्टर के रूप
में नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी पर्दे पर आते हैं. नवाज़ का हर एक सीन लाजवाब है.
ये हैरत की बात है कि सलमान ख़ान की फिल्म में
दर्शकों की तालियां नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी के हिस्से आई हैं. अगर आप सलमान
के फैन नहीं भी हैं, ये फिल्म नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी की वजह से देख लें.
फिल्म में करीना को बहुत ज़्यादा स्क्रीन टाइम नहीं मिला है लेकिन वो अच्छी
लगी है. फिल्म में छोटे छोटे लेकिन अच्छे रोल में ओम पुरी और राजेश शर्मा
भी हैं.
निर्देशक कबीर ख़ान ने फिल्म को कहीं
भी भटकने नहीं दिया है. फिल्म धर्म, सरहदों और ज़ात-पात से ऊपर उठकर
इंसानी जज़्बातों की बात करती है और दबी ज़ुबान में कुछ अहम सवाल भी खड़े
कर जाती है.